Tuesday, January 25, 2022

मन मोरो गावत हरिराम

 जो भुला जा सकता है 

वो ज्ञान नही है ।

 प्रज्ञा  तो अंतर्ज्ञान है ।

આકર્ષણ   ગતિ 


मन मोरो गावत हरिराम 

मस्ती भई जग जानत नाही

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सूरज करत प्रकाश 

कछु आवत नाही

सहज ये आदत जान 

कछु पावत नाही



સૂરજ સરખો આતમ શાને 

બંધ કરે શા ને વરસા

જીવડાં  તુજ  થી નથી 

આ દુનિયા કે પેલી  દુનિયા


गति में स्थिति है

और स्थिति ओ से गति है

नटराज ॐ सत्य

काल का पार्थिव रूप व्यक्त रूप

अव्यक्त काल गति संसार 



ज्ञान को सम्हालने के लिए ही स्वाध्याय है । 

यह अभ्यास का माहात्म्य है।

अभ्यासेन तू कौन्तेय वैराग्येण च गृह्यते ।।

जो जो क्षेत्रमे खो जाते है वह धीरे धीरे विशाल दिखाई देने लगता है ।..

આ તો સૂક્ષ્મ માં રહેલી વિશાળતા છે.

...એક डॉक्टर










आवेगों की पराकाष्ठा ही तो किक है

यह न परिवर्तन न शमन है ।


किसी બેवकूफ ने दर्शन ये  माना 


 

ડોકટરી દફતરે હૈ  યે  સબ 

સચ તો યે લો પાસ હૈ

જૈસે ખ્વાબો મેં ભટકનआ

બસ યે કઈક જૈસી બાત હૈ 


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