Wednesday, January 5, 2011

राजा


ऐसी ये चीज़े ये जानदारी
दुनिया की नज़रें बड़ी ये बीमारी !
ये गुमशुदा ट्रेन के डिब्बे में
रीवाजो की रचना
उसी में बड़प्पन
उसी में है राजा !!
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कई बातो ऐसी है जो समाज में नहीं आती !
श्रध्दा कहो या अंध दोनों पर रहम आती है
एतबार करो या न करो उसी की तो दुनिया
उसीके तो हम है !!
कमाल तो उसकी ये की वो हम में भी है !!
यही महेरबानी क्या कम है उसकी

Monday, January 3, 2011

टम टम तारे

टम टम टम टम तारें हम सारे
पुंज पुंज करे चौदिश हम सब
सब के सब है तारे सारे
वो पत्थर वो जल जल थल थल
खल खल खल खल जाये
वो अपने सब यही कहीं बिखराए
अय पत्थर तू शीघ्र प्रकाशो
कब क़यामत छाये
टम टम टम टम तारें हम सारे