Friday, March 30, 2012

किसने बांधा आपकू

किसने बांधा आपकू
किसने पूछा देख
दरवाजा खुला पड़ा
अपनी करनी पेख
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उज्वल सारा काम है उज्जवल सरे लोग
करत खुद  परकाश है ये आदम  की ज्योत
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जो कुछ भी कर जायेगा रह जायेगा यार
बाकि सब जल जायेगा
जो कुछ जूठा प्यार
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नहीं आएंगे कोई भी  एक दिन तेरे साथ
ले लेंगे जो जो चीज़ है बाकि भसम की काश !
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ज्ञान पाके शतरंज रम्यो
या जित के छोड़ी बाजी
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प्रत्येक थातो धबकार
खलु जीवन नो सार
आ लब धब लब धब नाद
तेने तेणी नो साद






ये ऐसा एक जाल है जब चाहो तब छुट

ये ऐसा एक जाल है जब चाहो तब छुट
फिर भी ऐसी जाल से छूटा  नहीं कोई भूप
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खाले मन की प्यास को
भर ले अपना पेट
कर के वमन तू जायेगा
सीधा अपना देश
इतना को क्यों याद रहू
जानु  पूरी बात
ऐसी वैसी प्यास कु
मारु कभी भी लात
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मै देखू सन्यास को कैसा घर में वेश
डरपोकि   मन कुछ कहे कब जाने की देर
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मनमौजी भीख मांग ले जूठा धर के वेश
डाल पे बैठा पंखिड़ा  क्या करे कुछ खेल
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बांधा  किसने आपकू पहचाने नहीं कोय
मुक्त पंखी मुर्ख ये कौन  बंधा  ज़ंजीर
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गिद गिद कर कुछ कहे दिया
चूस लिया सब हीर
माया ऐसी पापिनी
धीर धरो रघुवीर
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खुद की ऊँची जाल है
खुद का ऊँचा पेड़
ये कैसा बकवास है
मन का खोटा मैल
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समजत सब पर जात  है
दाना खाने देख
प्रेम जूठन की प्यास में
माया करो भेख
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आई  न कभी साथ में किया कोई न जाप
किस लिए ये सब किया जैसे दिया कोई शाप
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उल्जन भरी ये कोटडी उसमे मस्त फकीर
बहार कु भी क्या भला अन्दर खोटे  खेल

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Sunday, March 11, 2012

हम यही से ही पाकर कहते है विज्ञान है !!

हम यही से ही पाकर कहते है विज्ञान है !!
न आसमा की चादर न कण में कोई ज्ञान  है  !!
लटक कर बिचमे  मस्त बन कर  शराबी !!
नशे में धूर्त हो कर कहे मै हु बड़ा  शिकारी !!
आसमा से बाते करता वो अबुध को शायद
मालूम होती  होगी  ये बात भी सारी !!



देखते रहते है जिंदगी की मौजो को

अब फिरसे उभर आई है ये जिंदगी देखो
वक्त ने बेरहम बेवफाई की
बनते रहते है लब्जे तो देखो
कहासे उमड़ कर आती  है बहारे
देखते रहते है जिंदगी की मौजो को
क्या मजा है जिंदगानी में  !!
रंगों ने बहोत कुछ शिखाया है मुजको
तालो ने समजाया है संगीत को !!

यहाँ  कह देता है दिल ये.....

रंग भरा ये जीना

जीवन रंग भरा ही है रंज न कर तू मनवा कोई काला कोई पिला हरा है यही तो प्रभु की माया कोई दिल से खेले कोई झेले फैले मजा उठा ले जीना कोई अपने या कोई उसके रंग में रंग भरा ये जीना