Friday, February 27, 2009

शुक्र गुजारी

ये रुक कर पुराने ये सांसो का जीना यही है मदीना मदीना मदीना

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खजाना क्या करे संभाला नही जाता , 

निकाले जा अशरफी चैन लेता जा

जैसी है वैसी उसीकी है दुनिया 

आशिक जो ठहेरे उसीके ! करे क्या ! !

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समजेंगे एक दिन वो शायद

 जिद में उम्र को खोया है !!

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समजाकर शेर को मारा है , 

इसी बेवकूफी सराही नही जाती

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शुकर रुलाकर याद दिलाया

फांसले अभी बाकि है !!

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अरे कोई धून में खो जाना 

क्या इल्म है जालिम !!

शराबे गुमसुदा में रोकना 

क्या फक्र समजेगा !!

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तरस खायेंगे एक दिन 

इसी आश में खोते रहे है उम्र को !

तुम ही प्रकाशो

जाते जाते कह रहे है ये सभी , 

हंस दिए लो कह दिया कुछ भी नही


 हरि हर राम

ऐ आतमजी तुम ही प्रकाशो अंतरमे शिव राम ..

   ए आतम जी 

में जोयो हरी अन्तर केरो ऐ अणु ओ नो भारो

राम राम करी ऐ चाल्यो छे शिव संकल्प तमारो

बस अन्तर करी हे शिव सारो पुण्य प्रकाश तमारो मारो..ऐ अतामजी

मन की वेदना देख खुली छे जल जल पल पल तारो

क्या जाऊ शिद काम करीने एज हरी पर थारो

चलो एक आ चीज़ मिली छे कोई न आपी जाणो

मन मन्दिर की वीणा सरखी जब जी चाहे बजालो ...ऐ आतमजी

ए यहाँ जाने ये कहा हम कौन कहे कुछ पायो

मोरो पागल मोरो महिमा क्या पायो क्या गवायो

ले हरी अब मै मुस्कयो अब कैसो तू फसायो फसायो ...ऐ आतमजी

Saturday, February 7, 2009

भ्रमजाल


भ्रमजाल के ताल पे नाच नचैया 
राज उसे पहचान मान न 
ज्ञान भार को जान
ऐसा एक बिछौना आया बरस गए कई साल 
पाया क्या पाया दुनिया जो लूट गया बेईमान जमाना --ज्ञान ...
ये संगीत ये ताल तू खाना खो जाए हर ताल
ये पंछी दाना पागल जाल तेरी यु उछाल तो माना
...ज्ञान 
लोक लाज को डेरो डाल्यो जग चिता गयो टाल जानत सबकुछ लुट गई कश्ती मुफ्त ये मस्त मजाल जाना ..
ज्ञान ...

दारी




ये तारो का खिलना ये खिलके बिखरना
 हर पल ये धड़कन कहा कुछ छिपाना ! 
खामोशी मेरी ने मौत ढूँढा बनाया सही 
जिंदगी जिंदगी है चलो ये सही
 हमारी बंदगी है नजानोको कहकर सफर काटना है 
उसी सिलसिलेको जो था आजमाना 
बनी बेबसी यार दुनिया की दारी !!
मेरी ही कहानी मेरी ही पुष्पा 
मेरा ये जीवन मेरा ये खजाना
मेरे ये बुध्धो मेरी ये शरारत 
असली जमाना ये नकली फ़साना !!

Friday, February 6, 2009

चाहत

वो देखे
 सुने 
ये समजे 
उसीकी की चाहत है 
बस यही तो आश ऐ बीमारी है सारी!

किरणों की मौत कैसी ,बस चलते ही जाना
आसमा ये गुमसुन बनायेगे 
एक सुबह एक दिन
वो ही गुमसुदा मौत या जिंदगी होगी
हमें तो फक्र है ये जानकर बेजान क्या जाने
ये ताल का किनारा ही सही बेताल क्या जाने !
ये जानी न जानी ये टुकडो पे बैठा 
ये पैदा इशे मौत पकती जवानी
कहानी ये दिलचस्प गोपाल ज्ञानी 
ये लब धब तमः सत रजे जिंदगानी