Friday, February 6, 2009

चाहत

वो देखे
 सुने 
ये समजे 
उसीकी की चाहत है 
बस यही तो आश ऐ बीमारी है सारी!

किरणों की मौत कैसी ,बस चलते ही जाना
आसमा ये गुमसुन बनायेगे 
एक सुबह एक दिन
वो ही गुमसुदा मौत या जिंदगी होगी
हमें तो फक्र है ये जानकर बेजान क्या जाने
ये ताल का किनारा ही सही बेताल क्या जाने !
ये जानी न जानी ये टुकडो पे बैठा 
ये पैदा इशे मौत पकती जवानी
कहानी ये दिलचस्प गोपाल ज्ञानी 
ये लब धब तमः सत रजे जिंदगानी

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