Tuesday, January 20, 2009

नगमे




उल्जे हुए ये नगमे सुनाये किसे हम
कमालकी मिली है दुनिया 
कहे दिले सार कहीं हम
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ज़ुल्म इतना न कर जिन्दगीमे सदा दे
जरा गोर कर अपनोमे सपनोमे तो जीने दे
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हम ये जानते है बिना बन गए हो
मिलोगे तुम्ही जब हमें छोड़ना हो ।
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कहि दूर तक यु अन्धेरोमे बहकना
अन्धेरोके आंगन में बसना बसाना ।
बरसे अगर कोई गर बरसने न देना 
बने कायदों से  सदा सहमे रहना 
यही जिंदगानी ने मुजको दिया       
है बेरहमो ये बरखामे नहातेही रहना ।
उडजा ओ पंछी बड़ी सब्र की है 
कहकहे बिजलियोका सच है भला क्या !
આયો કા બ્રહ્મ ની બાર थी तू
જવાનો का બ્રહ્મ ની બાર शे
आवेगों की पराकाष्ठा ही तो किक है
यह न परिवर्तन न शमन है
किसी બેवकूफ ने दर्शन ये  माना 

डॉक्टरी दफ्तरे है सब
सच तो ये लो पास है
जैसे ख्वाबो में भटकना
बस , ये किक जैसी बात है ।
अटक ना भटक ना बस गीत गा तू
तू तेमनो छे बस एज साचु


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