Thursday, February 18, 2021

स्मृति

 जो भुला जा सकता है वो ज्ञान नही है । प्रज्ञा  तो अंतर्ज्ञान है ।

આકર્ષણ   ગતિ 

आपके कर्म और विचार रुक जाने से दुनिया रुक जाती न ही है ।

ज्ञान को सम्हालने के लिए ही स्वाध्याय है । यह अभ्यास का माहात्म्य है।अभ्यासेन तू कौन्तेय वैराग्येण च गृह्यते ।।
जो जो क्षेत्रमे खो जाते है वह धीरे धीरे विशाल दिखाई देने लगता है ।..डॉक्टर



सतत बढ़ती स्मृति शिव
 भविष्य तो यू ही नाश व त है 
जैसे बन कर  वर्तमान
 हो जाता है भूतकाल
शिव प्रकाश जो उल्टा चलता है
न फैलता है 
बन जाता है 
जड़ स्मृति
सतत बढ़ती स्मृति 
शिव
 शिव
वर्तमान तो केवल साक्षी क्षण है क्या ? 
या मूर्ति ?
शिवलिंग 
निराकार
सत्य

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