Monday, November 30, 2009

अरे ओ इमोशनल खुद भी जलो जलोंगे !! दुनिया प्रेक्टिीकलो की है !!

आईने में दीखता मै पर मै नही कुछ और ही तो है !!
तोड़ दे ये फोड़ दे जुठा भरम जो कोई है !!!
हकीकत जो हकीकत ही नही
तलाशे गुमशुदा रहे जारी 
मिले न मिले कोई
लो गम हो गया कोई !!!
नज़रे ख़ुद से खजाना जो मन
ज़माने को हँसी आ रही है !!
इन्ही लोगोने ले लिया दुपट्टा मेरा !!
मत खेलो ये बाज़ी बार बार
जितने की आदत है बुरी
जित सकते हो कई बार
अब हार कर देखो !!
सबका सब ये नशेमे लिखा
और वो भी नशे के लिए शायद !!
उसिकेही सहारे बैठ कर
लिखता हु जिसके  बारे में !
पत्ते वोही विध विध है बाज़ी !!
फट फट ये उडी बैठा उची डाल पर
ये उड़ते मन की यही दिल्लगी है क्या ?
शेर ने क्यों मारा हिरनों को हिरनों ने क्यों मारा नही
यही तो बीमारी है सारी नासमज को समजने की 




कुछ लोगो  जब अपने चाकू जैसी जबान चलाते है क्या कहे इनको !!!
तुम्हे रुलाने को चलो कोई आया है
जबाने चाकू  से   करने को हलाली है
बस करदे आखरी वार  इसका इंतजार बाकि है
 अरे ओ इमोशनल  खुद भी जलो  जलोंगे  !!  दुनिया  प्रेक्टिीकलो की  है !!

Saturday, November 14, 2009

तू मनवा

पागल न बन तू मनवा
कर न लहके
येतो गति है माया
कैसे हो सदके...
कैसी ग़लत है सदके कैसी ये आशा
न समज को मई समजा कैसा फ़साना
हर बार हर पहलु में शतरंजी पाशा
-----------------

मत खोल ये बाज़ी बार बार
जितने की आदत है बुरी
जित सकते हो कई बार
अब हार कर देखो बाजी !!
---------------
डर के मारे न लब्जे लूटाना !!
तेरी दुनिया में ये बीमारी है सारी !!!
----------------------
ना समज को समजने की बाज़ी जो है छेड़ी !!
हार के ही जितना होगा जानते है हम ।के दम लेने में ही राश आया है !!!
-----

हरेक चीज़ को समजने की जुर्रत क्यों करे !
जाने किसीने धमकाया है मुझे !
सबके सब ये नशेमे लिखा
और वो भी शायद नशे के लिए !!
----
उसीके ही सहारे बैठ कर लिखता हूँ उसीके बारे में
----
राधा बन गई राम
भक्त अब कौन कछु सब काम !!


---
पत्ते वोही है विध विध है बा जी !!
मन फट फट से उड़ा ऊँचे बैठा डाली पर
ये उड़ने ये मंजिल यही जिंदगी क्या ?
ओ गुण मंडल तू ही रास रचा दे
मन गुण  कर कछु गा ये !
--
शेर ने क्यों मारा! हिरनों ने क्यों नही !!
यही तो बीमारी है सारी ना समज को समजने की !


---
जुल्मातो की जिंदगी है कयामत तक
गिरते ही जाते है तब सूरज तारे बन जाते है !!
----

Saturday, September 19, 2009

किक क्या चीज़ है!

किक क्या चीज़ है! समजने की यह बात है !! कुछ लोग इतने खो जाते है खयालोमे की उनकी खुद की आंखोमे आंसू आ जाते है !! ऐसी किक में जीता रहता है इमोशनल फिलोसोफेर !!! लेकिन एक पराकाष्टा ऐसी आती है जहा उसे कोई प्रश्न नही रहते वहा आध्यात्मिकताकी स्थिति बन जाती है !!

जिसे बाटना जरुरी लगे वो किक महेफिल है यारो
जो खुदबखुद महेफिल ही हो उसे समजाये कैसे !!


इसीलिए एकबार यह भी कहा है


इतना न खोजना मेरे यार के ख़ुद ही को भुलादे
किक वालोको कब ठेस लगे समजा नही जाता
तैरते रहते है अनाडी जिसे खोना नही आता !!
जो ज्यादा इमोशनल है उन्हें कब बुरा लगे समज में ज्यादा तर लोग को नही आता !! किंतु राजकीय धर्मनेता और शिक्षा के बड़े स्थान पर विराजित प्रेक्टिकल  लोग युही तैरते रहते है !! इनको डूबकर पुरी किक तक पहुचना 
जरूरी नही लगता है इसीलिए तैरते रहते है !
वो महान बन जाते है और पैसे यश वगैरह इकठ्ठा करते रहते है और करते रहेंगे !!
इसीलिए तो कई लोगो  ने इमोशन में जिंदगी गवाई है फिरभी कहते है आजमाना है !!!

Sunday, April 19, 2009

महेफिले


मज़ारे उसीकी यहाँ ही है ।

ढूँढनेवालोको ढूँढना है हमें ! हमें तो कुछ ढूँढना ही नही !!



Sunday, March 29, 2009

आध्यात्मिक त्याग वैराग का शराब !!

आदम का एक शेर है जो दुनिया से परेशां के लिए


ज़ुल्मतों से मत डर की रास्तेमे रौशनी हैशराब खाने की !!

गोपाल बना !


बस गोपाल बना बस था जो वोही !

बेकार कहा ये सफर पाई !!

लो बन गए राम

लो बन गया राम अब कोई कम नही
अब शाम नही संसार नही
जिन्दा मरकर कोई नाम नही
पत्थर को पूजे ये दुनिया जो
जिन्दा रह अपमान सही !!
----
समज शके न वो माया है ,समज शके वो पास
रहे अनेक जो तेरे है कोई अनाथ नही है !!
===
ज़ुल्म कर तू ज़ुल्म कर इतना नही कुछ और कर !
इतना बरस सैलाब में दिल डूब जाए उम्र भर !!
---
समजा सका नही पाउँगा मै प्यार को बह जाऊंगा
ऐसी गजब की रात बन मै दिल नही बन पाउँगा !!
---
तू कोई है अब वो नही अब आखरी क्या राज़ है ?
घर में तुम्हारे क्यो रहू लो दूर से आवाज़ है !!
સુખ થી સગવડ મળે છે શાંતિ નહીં
દુઃખ અગવડો ને કારણે છે પછી શાંતિ કયા થી ?
સગવડ માટે અશાંતિ ઉભી કરી તો દુઃખ આવ્યું !!
અગવડો ચલાવી લેતા અશાંતિ વધી!!
तो फिर चलो सगवड़ ही करे  
भले अशांति हो

अवरोधम सततं खलु राग जरा संभाल रे

Sunday, March 22, 2009

फानी दुनिया तो आनि जानी है

जाते जाते कह रहे है ये सभी । 
हंस दिए लो कह दिया कुछ भी नही ।
मरनेवाले कभी तो कहेते है नासमज को ये तुम न समजाओ ।
उसकी दुनिया तो बस ये दुनिया है ! 
उल्जी बातो पे न तरस खाओ । ....
वो आसमा पे सिकंदर कभी तो रोता है । 
मिला है क्या जो कहेते हुए यु रोया है ।
ऐसी दुनिया को आजमाओ ना !
खुल के रोना नही तो हंस डालो ।
अपनी मस्ती को न डुबो डालो । .....
मिला कोई वोही है जो समंदर है । 
जो न खोया हुआ ढूंढे उसे ही खो डालो ।
इश्क के है अजब ये मयखाने । 
पीने वालो की न तरस खाओ । ....
गजब के जुल्म तू कर ले तेरी ये बारी है ।
 बंधे जो बनके रहे है तू ही कुवारी है ।
लगी जो है जो लगे वो किसीकी ढाई है ।
 ऐसी बातो की रात आई है ।
वक्त ने दी हुई दुहाई है । ....
किसीने सच ये कहा था बहे जाओ न कही ।
 सफर ये अपनी अपनी है न सम जाओ ।
चोट गहेरी न लगे । 
सर सैर जरा समजा लो ।
फानी दुनिया तो आनी जानी है ।
 वक्त ने दी ये महेरबानी है । ....


Friday, February 27, 2009

शुक्र गुजारी

ये रुक कर पुराने ये सांसो का जीना यही है मदीना मदीना मदीना

-----

खजाना क्या करे संभाला नही जाता , 

निकाले जा अशरफी चैन लेता जा

जैसी है वैसी उसीकी है दुनिया 

आशिक जो ठहेरे उसीके ! करे क्या ! !

---

समजेंगे एक दिन वो शायद

 जिद में उम्र को खोया है !!

----

समजाकर शेर को मारा है , 

इसी बेवकूफी सराही नही जाती

---

शुकर रुलाकर याद दिलाया

फांसले अभी बाकि है !!

---

अरे कोई धून में खो जाना 

क्या इल्म है जालिम !!

शराबे गुमसुदा में रोकना 

क्या फक्र समजेगा !!

---

तरस खायेंगे एक दिन 

इसी आश में खोते रहे है उम्र को !

तुम ही प्रकाशो

जाते जाते कह रहे है ये सभी , 

हंस दिए लो कह दिया कुछ भी नही


 हरि हर राम

ऐ आतमजी तुम ही प्रकाशो अंतरमे शिव राम ..

   ए आतम जी 

में जोयो हरी अन्तर केरो ऐ अणु ओ नो भारो

राम राम करी ऐ चाल्यो छे शिव संकल्प तमारो

बस अन्तर करी हे शिव सारो पुण्य प्रकाश तमारो मारो..ऐ अतामजी

मन की वेदना देख खुली छे जल जल पल पल तारो

क्या जाऊ शिद काम करीने एज हरी पर थारो

चलो एक आ चीज़ मिली छे कोई न आपी जाणो

मन मन्दिर की वीणा सरखी जब जी चाहे बजालो ...ऐ आतमजी

ए यहाँ जाने ये कहा हम कौन कहे कुछ पायो

मोरो पागल मोरो महिमा क्या पायो क्या गवायो

ले हरी अब मै मुस्कयो अब कैसो तू फसायो फसायो ...ऐ आतमजी

Saturday, February 7, 2009

भ्रमजाल


भ्रमजाल के ताल पे नाच नचैया 
राज उसे पहचान मान न 
ज्ञान भार को जान
ऐसा एक बिछौना आया बरस गए कई साल 
पाया क्या पाया दुनिया जो लूट गया बेईमान जमाना --ज्ञान ...
ये संगीत ये ताल तू खाना खो जाए हर ताल
ये पंछी दाना पागल जाल तेरी यु उछाल तो माना
...ज्ञान 
लोक लाज को डेरो डाल्यो जग चिता गयो टाल जानत सबकुछ लुट गई कश्ती मुफ्त ये मस्त मजाल जाना ..
ज्ञान ...

दारी




ये तारो का खिलना ये खिलके बिखरना
 हर पल ये धड़कन कहा कुछ छिपाना ! 
खामोशी मेरी ने मौत ढूँढा बनाया सही 
जिंदगी जिंदगी है चलो ये सही
 हमारी बंदगी है नजानोको कहकर सफर काटना है 
उसी सिलसिलेको जो था आजमाना 
बनी बेबसी यार दुनिया की दारी !!
मेरी ही कहानी मेरी ही पुष्पा 
मेरा ये जीवन मेरा ये खजाना
मेरे ये बुध्धो मेरी ये शरारत 
असली जमाना ये नकली फ़साना !!

Friday, February 6, 2009

चाहत

वो देखे
 सुने 
ये समजे 
उसीकी की चाहत है 
बस यही तो आश ऐ बीमारी है सारी!

किरणों की मौत कैसी ,बस चलते ही जाना
आसमा ये गुमसुन बनायेगे 
एक सुबह एक दिन
वो ही गुमसुदा मौत या जिंदगी होगी
हमें तो फक्र है ये जानकर बेजान क्या जाने
ये ताल का किनारा ही सही बेताल क्या जाने !
ये जानी न जानी ये टुकडो पे बैठा 
ये पैदा इशे मौत पकती जवानी
कहानी ये दिलचस्प गोपाल ज्ञानी 
ये लब धब तमः सत रजे जिंदगानी

Tuesday, January 27, 2009

दिशा ओ

अनेको दिशाओ ने भरवाने काजे 
रहे दोड़ती मा तू शिदने काजे
विविधातानी पृष्ठे समष्टि ने काजे 
बने एक दी पुंज परम ने तू साजे ।
आगल आश पाछल विश्वास 
भगवानो बनी राम देते है ताने
केन्द्र छे तू आ स्वप्न नो 
विचार नी धारा मा शु हरी नाम छे ?

Thursday, January 22, 2009

ये सफर में यू तलाश से


तुजे क्या मिला ये सफरमे यु तलाश से
ये  दर्द है सपनों का
---------
एक पुराना गीत

Bas Ek Saza Hi To Hai Zindagi 

bas ek saja hi to hai jindagi
bas ek saja hi to hai jindagi
koi ro ro ke kate koi haske gujare
ek saja hi to hai jindagi
bas ek saja hi to hai jindagi

ho tere hatho ka banaya hua ye jail hai
tere apne hi karmo ka ye khel hai
tere apne hi karmo ka ye khel hai
chahe isko bigade chahe isko saware
ik saja hi to hai jindagi
bas ik saja hi to hai jindagi

khel ban ban ke dekhe bigadte yaha
aur mil mil ke dekhe bichadte yaha
kayi jhuthe bhi jeete kayi sache bhi haye
ek saja hi to hai jindagi
bas ek saja hi to hai jindagi

jinko samjha tha apna daga de gaye
aag dil me lagake hawa de gaye
jinko samjha tha apna daga de gaye
aag dil me lagake hawa de gaye
hue ab wo paraye the ek din jo hamare
ek saja hi to hai jindagi
koi ro ro ke kate koi haske gujare
ek saja hi to hai jindagi
bas ek saja hi to hai jindagi

एक गुजराती
" વિચારો ના વમળો માં અટવાશો ના
એ તમો ને ભરખી જાશે"

खयालों के जंगलो में भटकना छोडो 
ये शायद तुम्हे तुमसे  छीन लेंगे !!!






उलजे हुए ये नगमे सुनाये किसे हम
कमालकी मिली है दुनिया
बहाए दिले सार कही हम !



---------

नही साथ देंगे कहा दौड़ना जो


रहा है सदा बेबस बावरा जो

इन्ही बेरहम दुश्मने जो है ठहरे

बेकार क्यो आशरा ढूंढ़ता  है !!
--------
मात प्रकृति कहा मरत तू
डर मत तू मुझ भाई
वो ही महा सत सतत रहत है
मैं धावत उसमे ही समाई

....





Tuesday, January 20, 2009

कैसा बंधन

ख़ुद ही को मै बांधा बड़े जोरसे है 
नही इल्म कोई फंसे तो हँसे है
उसीका बन गया हु मै 
जो किसीका नही है !
------------------------------
बस नही लिखना कुछ
 गमो के लिए 
अब गमकी ये तोहीन
 नही राश आती !!
----------------------
अच्छा है न तुम ये न बनी 
ये न बनी तुम वो न बनी
तौहीन ही सही पत्थर तो बनी 
बदमाश ये काश सज़ा तो बनी
---------------------------
पत्थर के नगर से प्रस्थ बना 
जागले बुध्ध अब शोर भला क्यों ?
-----------
लो मर गए अब क्या चैन मिला 
लो दूर गए स्मशान मिला
नफ़रत करके क्या रैन भई 
लो मार दी चिडिया चैन भई
नफ़रत सी भरी पत्थर की बनी माशूक जो मिली तकरार भई
पंछी जा उड़ के कही
 बेकार तेरी सरकार बनी
--------------

नगमे




उल्जे हुए ये नगमे सुनाये किसे हम
कमालकी मिली है दुनिया 
कहे दिले सार कहीं हम
---------------
ज़ुल्म इतना न कर जिन्दगीमे सदा दे
जरा गोर कर अपनोमे सपनोमे तो जीने दे
---------
हम ये जानते है बिना बन गए हो
मिलोगे तुम्ही जब हमें छोड़ना हो ।
-----------------------
कहि दूर तक यु अन्धेरोमे बहकना
अन्धेरोके आंगन में बसना बसाना ।
बरसे अगर कोई गर बरसने न देना 
बने कायदों से  सदा सहमे रहना 
यही जिंदगानी ने मुजको दिया       
है बेरहमो ये बरखामे नहातेही रहना ।
उडजा ओ पंछी बड़ी सब्र की है 
कहकहे बिजलियोका सच है भला क्या !
આયો કા બ્રહ્મ ની બાર थी तू
જવાનો का બ્રહ્મ ની બાર शे
आवेगों की पराकाष्ठा ही तो किक है
यह न परिवर्तन न शमन है
किसी બેवकूफ ने दर्शन ये  माना 

डॉक्टरी दफ्तरे है सब
सच तो ये लो पास है
जैसे ख्वाबो में भटकना
बस , ये किक जैसी बात है ।
अटक ना भटक ना बस गीत गा तू
तू तेमनो छे बस एज साचु


Saturday, January 10, 2009

गोता

ये कोई चीख नही सन्नाटे की चहचहाहट या गजल कह दू अखाकी आतमखोरी
गोता गुमसुदा कह दू
----------------
ये ज्ञान दशा में कही तू फंसा
बस जनम भयो बनकर भारी ।
-----------
दुनीयाकी हँसी कहके ठिठ्वे सुनके ये हंसत न हरी नारी
ये भेद भला तू चमक गयो बस अंक ये रंग रह्यो सारी ।
---------------
भले जिल मिलाती गति तेज तारी
खरे अंतिम ते थाशे पुंज माही ।
---
कब जागेगा तू यही तो सहारा है !