नही इल्म कोई फंसे तो हँसे है
उसीका बन गया हु मै
जो किसीका नही है !
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बस नही लिखना कुछ गमो के लिए
अब
गमकी ये तोहीन
नही राश आती !!
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अच्छा है न तुम ये न बनी
ये न बनी तुम वो न बनी
तौहीन ही सही पत्थर तो बनी
बदमाश ये काश सज़ा तो बनी
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पत्थर के नगर से प्रस्थ बना
जागले बुध्ध अब शोर भला क्यों ?
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लो मर गए अब क्या चैन मिला
लो दूर गए स्मशान मिला
नफ़रत करके क्या रैन भई
लो मार दी चिडिया चैन भई
नफ़रत सी भरी पत्थर की बनी माशूक जो मिली तकरार भई
पंछी जा उड़ के कही
बेकार तेरी सरकार बनी
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