Sunday, July 10, 2016

तुझे क्या मिला

मालूम है हमें 
कोई नहीं आता यही पर
गीत गाता  हू  मै  न जाने सुनाने किसको
बस झाँक  के देख  लेता  हु अंदर
समंदर  बड़ा बस युही  न  बना  है !!
जब  भी देखता  हु बेसुनि  करने वालो को
हालो  हाल   जो कर  दिया याद करता  हु
 ये रोना सुनाना बस एक माया
हस दे जरा कौन कहता है जाना

...
तुझे  क्या मिला  तुझे  क्या  मिला
ये  सफर में  यु  तलाश से
...
धरती दौड़त जाय क्षण क्षण
कवि की कविता सुन जरा
।।।।।
खुश रखने को आजमाते रहे हो खुद को
फर्क क्या है ख़ुर्शी नाखुशी से
...
સબકો હિલમિલ ચાલીએ નદી નવ સંયોગ..ક્યાં સુધી?
જો આ પ્રશ્ન હોય તો તમે વાસ્તવ માં જગત સમજી શક્યા નથી.
કાગડો વાઘ બની જાય
અને બિલાડી રીંછ!! 
એવું તો ક્યાં થી બને .
બધું જ સમું સુતરું જ રહે એવું જ !!!