ये रुक कर पुराने ये सांसो का जीना यही है मदीना मदीना मदीना
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खजाना क्या करे संभाला नही जाता ,
निकाले जा अशरफी चैन लेता जा
जैसी है वैसी उसीकी है दुनिया
आशिक जो ठहेरे उसीके ! करे क्या ! !
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समजेंगे एक दिन वो शायद
जिद में उम्र को खोया है !!
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समजाकर शेर को मारा है ,
इसी बेवकूफी सराही नही जाती
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शुकर रुलाकर याद दिलाया
फांसले अभी बाकि है !!
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अरे कोई धून में खो जाना
क्या इल्म है जालिम !!
शराबे गुमसुदा में रोकना
क्या फक्र समजेगा !!
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तरस खायेंगे एक दिन
इसी आश में खोते रहे है उम्र को !
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