जाते जाते कह रहे है ये सभी ,
हंस दिए लो कह दिया कुछ भी नही
हरि हर राम
ऐ आतमजी तुम ही प्रकाशो अंतरमे शिव राम ..
ए आतम जी
में जोयो हरी अन्तर केरो ऐ अणु ओ नो भारो
राम राम करी ऐ चाल्यो छे शिव संकल्प तमारो
बस अन्तर करी हे शिव सारो पुण्य प्रकाश तमारो मारो..ऐ अतामजी
मन की वेदना देख खुली छे जल जल पल पल तारो
क्या जाऊ शिद काम करीने एज हरी पर थारो
चलो एक आ चीज़ मिली छे कोई न आपी जाणो
मन मन्दिर की वीणा सरखी जब जी चाहे बजालो ...ऐ आतमजी
ए यहाँ जाने ये कहा हम कौन कहे कुछ पायो
मोरो पागल मोरो महिमा क्या पायो क्या गवायो
ले हरी अब मै मुस्कयो अब कैसो तू फसायो फसायो ...ऐ आतमजी
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