Monday, September 27, 2010
जीवन बरसात
बस चलना ये जिंदगी का देखो
मेरे सोने से भी न रुकती है !
सुना है बुठ्ठोसे ये पहेले से ही है
मेरे आने से पहेले जाने के बाद और आज भी !!
क्या ये बरसात है जो थमी ही नहीं !!
बुँदे कई आ आ कर चल दी है फिर भी ये थमी तो नहीं
Wednesday, September 15, 2010
कल्पना
कल्पना ये अच्छी लगती है फिर भी हकीकत तो हकीकत है
खयालों में इतने न बह जाओ ये तो बड़ी बीमारी है
कल्पना की चाल में दुनिया तेरी भी कोई चाल है !
आईने में मै दिखता हु पर वो मै नहीं !!
छाया ही तो है ! तेरी ही धुल में !!
आईने में दिखता मगर मै पर मै नहीं कुछ और है
तोड़ दे ये फोड़ दे झूठा भरम जो कोई भी है !!
खयालों में इतने न बह जाओ ये तो बड़ी बीमारी है
कल्पना की चाल में दुनिया तेरी भी कोई चाल है !
आईने में मै दिखता हु पर वो मै नहीं !!
छाया ही तो है ! तेरी ही धुल में !!
आईने में दिखता मगर मै पर मै नहीं कुछ और है
तोड़ दे ये फोड़ दे झूठा भरम जो कोई भी है !!
Friday, September 10, 2010
पत्थर के नगर
ये पत्थर बोलते है
यहाँ बूतो का मेला है क्या
न जाने कैसा ये जादू है
खामोश भी हो जाते है ये
जिंदगी बोलती रहती है
क्या मौत ख़ामोशी है
या बोलती मुर्तिया सारी
बस कहती रहती है
उन तस्वीरों को देखो सब खामोश है
कुछ भी न बोलती बहोत कुछ कहती रहती है
चुप चाप सुनो ये आवाज़ आ ही रही है
यहाँ बूतो का मेला है क्या
न जाने कैसा ये जादू है
खामोश भी हो जाते है ये
जिंदगी बोलती रहती है
क्या मौत ख़ामोशी है
या बोलती मुर्तिया सारी
बस कहती रहती है
उन तस्वीरों को देखो सब खामोश है
कुछ भी न बोलती बहोत कुछ कहती रहती है
चुप चाप सुनो ये आवाज़ आ ही रही है
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