जो भुला जा सकता है
वो ज्ञान नही है ।
प्रज्ञा तो अंतर्ज्ञान है ।
આકર્ષણ ગતિ
मन मोरो गावत हरिराम
मस्ती भई जग जानत नाही
____--
सूरज करत प्रकाश
कछु आवत नाही
सहज ये आदत जान
कछु पावत नाही
સૂરજ સરખો આતમ શાને
બંધ કરે શા ને વરસા
જીવડાં તુજ થી નથી
આ દુનિયા કે પેલી દુનિયા
गति में स्थिति है
और स्थिति ओ से गति है
नटराज ॐ सत्य
काल का पार्थिव रूप व्यक्त रूप
अव्यक्त काल गति संसार
ज्ञान को सम्हालने के लिए ही स्वाध्याय है ।
यह अभ्यास का माहात्म्य है।
अभ्यासेन तू कौन्तेय वैराग्येण च गृह्यते ।।
जो जो क्षेत्रमे खो जाते है वह धीरे धीरे विशाल दिखाई देने लगता है ।..
આ તો સૂક્ષ્મ માં રહેલી વિશાળતા છે.
...એક डॉक्टर
आवेगों की पराकाष्ठा ही तो किक है
यह न परिवर्तन न शमन है ।
किसी બેवकूफ ने दर्शन ये माना
ડોકટરી દફતરે હૈ યે સબ
સચ તો યે લો પાસ હૈ
જૈસે ખ્વાબો મેં ભટકનआ
બસ યે કઈક જૈસી બાત હૈ
No comments:
Post a Comment